हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार जीव को बार-बार जन्म लेना पड़ता है। अपने पिछले जन्म के कर्मों का फल तो वह नर्क की यातनाओं से भोगता है और कुछ उसे अपने अगले जन्म में भोगना पड़ते हैं। इस बारे में ज्योतिष शास्त्र का अपना अलग मत है। गरूड़ पुराण के अनुसार जीव पहला शरीर छोडऩे के बाद पहले अपने कर्मों के अनुसार फल भोगता है। उसे तरह-तरह की यातनाएं दी जाती हैं। कई वर्षों तक नारकीय यातनाओं के बाद उसे फिर जन्म दिया जाता है।
वह अपने कर्मों के अनुसार ही स्वर्ग भी पाता है। यहां स्वर्ग की भी कई श्रेणियां मानी गई हैं। जिसमें से मध्यम श्रेणी के स्वर्ग का अधिपति इंद्र को माना गया है। इससे भी ऊंचे स्वर्ग माने गए हैं। अच्छे कर्मों के कारण जीवों को यहां सुख भोगने को मिलता है। सुख भोगने के बाद भी उसकी अवधि समाप्त होने पर उस जीव को दोबारा जन्म लेना पड़ता है।
Punarjanam
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Bhoot-pret
- on 07:08
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